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Shayari by Kanha Kamboj-hindi |
👉🏻तेरी हर हकीकत से रुबरू हो गया हुं मै!
तेरी हर हकीकत से रुबरू हो गया हुं मै!
👩🏻💻तो परदा किस बात का है!
😏 मै हुन के आंखो से आसू नहीं रुक रहे!
और
😅तू है के,
हस के बात कर रही है
तुम्हारा हर जखम हम गवरा कहते है
है यही सच लो हम दुबारा कहते है!
तुम्हारा हर जखम हम गवरा कहते है
है यही सच लो हम दुबारा कहते है!,
नहीं मिलना जान तो साफ कह दीजिए,,,
नहीं मिलना जान तो साफ कह दीजिए,
नज़रे झुकाने को हम इशारा केहते है,,
खिलते हुए फूलों के रंग चुराने है
मुझे ये मौसम तेरे संग चुराने है
तेरी जैसी मूरत इक और बनानी है
मुझे ये तेरे सारे अंग चुराने है
खामोशी का अपना मज़ा है,
लफ्ज़ कोई बहेरा नहीं देना जाता,
तेरी आंखो पर काजल की गिरफत तो ठीक है,
ये आंसु का पहरा नहीं देखा जाता,
अपने हिस्से की खुशियां लूटा दू तुज पर,
तेरा उतारा हुआ चेहरा नहीं देखा जाता
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